Ranhe de abhi gunjaishe


रहने दे अभी गुंजाइशें जरा 
अपनी बेरुखी में*...
इतना ना तोड़ मुझे कि मैं किसी 
और से जुड़ जाऊँ*....!!


शायरी आज कल

Post a Comment

0 Comments