लम्हे जुदाई को बेकरार करते हैं,
हालत मेरे मुझे लाचार करते हैं,
आँखे मेरी पढ़ लो कभी,
हम खुद कैसे कहे की आपसे प्यार करते हैं.
कर दे नज़रे करम मुझ पर,
मैं तुझपे ऐतबार कर दूँ,
दीवाना हूँ तेरा ऐसा,
कि दीवानगी की हद को पर कर दूँ,
यूँ तो लिखने को दो-चार लाइने लिखते है लोग,
पर आँखे तेरी ऐसी कि पूरी किताब लिख दूँ!
ये नज़र भी कमाल कर गई
तेरी मेरी मोहोब्बत को सर-ऐ-आम कर गई
अब तो लोग भी राह चलते पूछते है हमसे
तेरी चाहत हमें बदनाम कर गई
आज फिर हद से गुज़र जाने को दिल करता है
आगोश में उनके टूट कर बिखर जाने को दिल करता है
लाख दुशमन है जमाना तो अब डरना कैसा
अब ऐसे ही तेरी बाहों में मर जाने को दिल करता है।
बड़ी उमीदों से दामन थामा है तेरा
बड़ी उमीदों से पकड़ा है तेरा हाथ
ये वादा है मेरा की निभाउंगा मैं अपना वादा
बस इतना बता क्या तू भी देगा मेरी ज़िन्दगी में मेरा साथ।
पूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये,
लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये।
ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की,
अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये।।
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