Tumhe kahne ko


तुम्हें कहने को अल्फाज़ तो 
सारे चुन लिए थे मैंने,
मगर तुम्हारी ख़ामोशी ने उन्हें होठों तक 
आने नहीं दिया....!!

शायरी आज कल


कहाँ ढ़ूढते हो तुम इश्क़ को
ऐ-बेखबर,
ये खुद ही ढूढ़ लेता है,
जिसे बर्बाद करना हो ..!!!💐

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