Har bar samhal luga

हर बार सम्हाल लूँगा गिरो तुम चाहो जितनी बार,,,,
  बस इल्तजा एक ही है कि मेरी नज़रों से ना गिरना...!! !
ये जिस्म के घाव तो भर ही जायेंगे एक दिन,,,
खैरियत उनकी पूछो जिनके दिल पर वार हुआ है.. !!!

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