Wo kahkar chal diye

वो कहकर चल दिये इतनी मुलाकात बहुत है ,
हमने कहा रुक जाओ अभी रात बहुत है
थम जाए मेरे आंसू तो शौक से जाना ,
ऐसे में कहा जाओगे बरसात बहुत है ...!!!



🍁|| अल्फाज नही लिखते बल्कि उसमे दर्द पिरोते हैं

      वो शायर ही ही होते हैं जो स्याही से रोते हैं ||🍁

Post a Comment

0 Comments