दर्द ही दर्द सुबह शाम इसलिए चुप हु ,
कहो तो कह दु जमाने से दास्तान अपनी,
उसमे आएंगे तुम्हारा नाम इसलिए चुप हु ..!!!
मिज़ाज में थोड़ी सख़्ती लाज़िमी है हुज़ूर,
लोग पी जाते अगर समंदर खारा न होता..!!!
छू लिया है इश्क़ का वो तार हमने,
जिसमे बेइंतहा मोहब्बत की बिजली थी..!
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