कुछ बातें हैं तेरे लबों पर


 

रो  लेने  से  दिल  हल्का  हो  जाएगा  क्या

मुस्कुरा दूंगा तो सब आसान हो जाएगा क्या

मैं अगर अपनी खुशी से 1 दिन भी काट लूं 

तुम लोगों का बहुत नुकसान हो जाएगा क्या...


कुछ बातें हैं तेरे लबों पर

                जो अनकही ही रह गईं

                टूटे से लफ्ज रह गए

                बिखरीं सी शब्द रह गईं


                वो होठों का मुस्कुराना 

                कहीं खो सा गया है

               खामोश बैठे हैं इस कदर

               की कुछ हो सा गया है

               शाम ढलते ही जैसे आसमां

               खामोश हो जाते हैं

               आँखे बंद होती हैं लेकिन

               नींद खो जाते हैं

               अपने ख़्वाबों को 

               इस कदर मायूस न कर

               रो पड़ेगा ये आसमां

               गर तू यूं बिखर गईं


               ख़ामोश रहने का हुनर

              उन्होंने भी बहुत खूब रखा है 

              कुछ न कह के भी 

              चेहरे से बयान कर गयी

              कुछ बातें हैं तेरे लबों पर

              जो अनकही ही रह गईं


                                                    ~  संतोष


हाथों पे किसी के प्यार  का निशां बाकी है अब भी

वरना कुछ लिखा जाना इतना आसान नहीं होता 

रुकते है  लफ्ज़ जब लिपटती है  स्याही कागजों पर कभी  

यूँ ही किसी का ज़िक्र कर जाना आसान नहीं होता

 कुछ वक़्त ही तो दिया था दिल  ने टूट जाने को 

मुश्किले बढ़ती गई , होठो से सुकून छीन गया  

जो नाम उनका क्या लिया  खुद से दूर जाने को 


माना कि हर किसी को मुकम्मल  जहां  नहीं मिलता 

 वरना यूँ  यादों में खो जाना  इतना आसान नहीं होता 

 की जब जब  साँस लेता हूं  जुबाँ पे वो ही होती  है 

अनकहे अहसास  पाने को कुछ  बिखर जाने को 

खुद की साँसो को रोक पाना  इतना आसान नहीं होता

      ~ संतोष 

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