Gum me hasne walo

 हमने सीखा है मोहब्बत में सब्र रखना,
जो हमारा होगा, वो लौटकर ज़रूर आएगा।

 

कुछ लोग दिल में ऐसे उतर जाते हैं,
जैसे कोई अपनी ही परछाई हो।

  • ख़ामोशियाँ ही बेहतर हैं,
    अल्फ़ाज़ अक्सर रिश्ते बिगाड़ देते हैं।

  • वो अपने आप में ही गुम था,
    हमने उसे अपना बनाने की ग़लती की।

  • जिसे दिल से चाहा वो कभी समझ ही नहीं पाया,
    और जो समझा, उसे चाहा ही नहीं हमने।

  • जो खुद से चले आते हैं,
    वही लोग सबसे अपने होते हैं।

  • मिलना तक़दीर में नहीं था,
    फिर भी हम मोहब्बत निभाते रहे।

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     "दिल से खबर है"
    आज भी कई लोग ऐसे हैं जो दर्द में मुस्कुराते हैं,
    और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें अपनापन जताना नहीं आता।
    लेकिन याद रहे, रिश्ते मजबूरी से नहीं,
    अपनेपन से बनाए जाते हैं।

     

    अपनापन और तक़दीर से जुड़ी शायरियाँ

    1. जो दिल से अपना होता है, वो कभी जुदा नहीं होता,
      वक्त लगे या ज़माना बदल जाए, वो लौट आता है।

    2. अपने आप में ही उलझे हुए हैं लोग,
      किसी को क्या फर्क पड़े कि कौन कितना टूटा है।

    3. मिलना तक़दीर की बात है,
      लेकिन निभाना अपनेपन का हुनर है।

    4. लोग पास होकर भी दूर हो जाते हैं,
      कुछ अपने होते हुए भी पराये हो जाते हैं।

    5. हमने जिनके लिए दुनिया छोड़ी,
      वो ही हमें गैर समझ बैठे।

    6. कभी वक़्त मिले तो सोचिएगा ज़रा,
      जो दिल से अपना हो, उसे कैसे भुला पाएंगे।

    7. दिल के जज़्बात कहां लफ़्ज़ों में समाते हैं,
      कुछ लोग बस खामोशी में भी सब कह जाते हैं।

    8. वो नहीं आए, तो हमने भी राह देखना छोड़ दिया,
      जो बिना कहे अपना न हो, उसे कहने का क्या फायदा।

       

      🗞️ "दिलों में बसी खबरें"
      आज एक और रिश्ता खामोशी में टूट गया,
      वजह वही पुरानी – एक ने जताया, दूसरे ने निभाया नहीं।
      सिखाया गया कि अपनापन ज़बरदस्ती नहीं होता,
      और दिल से निकले लोग… अख़बार की हेडलाइन नहीं बनते।

       

      Voiceover Style:
      "कुछ लोग ग़म में भी मुस्कुराते हैं…
      क्योंकि उन्हें पता है — कोई पूछेगा नहीं।
      और कुछ रिश्ते बस इसलिए छूट जाते हैं,
      क्योंकि हम बार-बार जताते नहीं।"

       

      नई और ओरिजिनल शायरियाँ (2025)


    जो खामोशी से साथ निभा जाए,
    उसे रिश्तों की भीड़ में ढूंढना मुश्किल होता है।


    कहने को बहुत थे अपने,
    पर जब ज़रूरत पड़ी, तो साया तक ना मिला।


    किसी को कह कर अपना बनाना कैसा अपनापन,
    जो खुद चलकर आए, वही रिश्ता सच्चा होता है।


    तू चाहे न चाहे, पर दिल को यकीन है,
    कुछ अपने लौटते हैं देर से, मगर लौटते ज़रूर हैं।


    हमने हर चेहरे में अपना अक्स ढूंढा,
    मगर हर बार आइना ही टूटता रहा।


    जिसने बिना कहे साथ दिया,
    वो ही आज यादों में सबसे ज़्यादा जिंदा है।


    सिखा दिया वक्त ने एक सबक़ ये भी,
    कि अपने वही होते हैं जो पीठ पीछे भी तुम्हारा नाम लेते हैं।


    किसी को ज़बरदस्ती रोकना इश्क़ नहीं होता,
    इश्क़ तो वो है जो बिना कहे रुक जाए।


    जब अपने ही अजनबी लगने लगें,
    तो समझो रिश्ता अब नाम का रह गया है।


    हमने सोचा था वो समझेगा दिल की बात,
    पर वो तो सिर्फ अल्फ़ाज़ों में उलझा रहा।

     

    Gum mei hasne walo ko rulaya nahi jata,
    Lehron ko pani se milaya nahi jata,
    Hone wale khud hi apne ho jate hain,
    Kisi ko kehkar apna banaya nahi jata.

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